Friday, 5 September 2014

Vaishno Devi Yatra (In Hindi language), India


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वैष्णो देवी की यात्रा

vaishno devi
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कहते हैं पहाड़ों वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादें पूरी करती हैं। उसके दरबार में जो कोई सच्चे दिल से जाता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। ऐसा ही सच्चा दरबार है- माता वैष्णो देवी का। 

माता का बुलावा आने पर भक्त किसी न किसी बहाने से उसके दरबार पहुँच जाता है। हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णो देवी का स्थान हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं। 

क्या है मान्यता :- 
माता वैष्णो देवी को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध प्राचीन मान्यता के अनुसार माता वैष्णो के एक परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। एक बार ब्राह्मण श्रीधर ने अपने गाँव में माता का भण्डारा रखा और सभी गाँववालों व साधु-संतों को भंडारे में पधारने का निमंत्रण दिया। 

कम समय में माँ के दर्शन के इच्छुक यात्री हेलिकॉप्टर सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। लगभग 2200 से 2800 रुपए खर्च कर दर्शनार्थी कटरा से 'साँझीछत' (भैरवनाथ मंदिर से कुछ किमी की दूरी पर) तक हेलिकॉप्टर से पहुँच सकते हैं।
पहली बार तो गाँववालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि निर्धन श्रीधर भण्डारा कर रहा है। अपने भक्त श्रीधर की लाज रखने के लिए माँ वैष्णो देवी कन्या का रूप धारण करके भण्डारे में आई। श्रीधर ने भैरवनाथ को भी अपने शिष्यों के साथ आमंत्रित किया गया था। भंडारे में भैरवनाथ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस-मदिरा का सेवन करने की बात की तब श्रीधर ने इस पर असहमति जताई। 

भोजन को लेकर भैरवनाथ के हठ पर अड़ जाने के कारण कन्यारूपी माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की किंतु भैरवनाथ ने उसकी एक ना मानी। जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा, तब वह कन्या वहाँ से त्रिकूट पर्वत की ओर भागी और उस कन्यारूपी वैष्णो देवी ने एक गुफा में नौ माह तक तपस्या की। 

इस गुफा के बाहर माता की रक्षा के लिए हनुमानजी ने पहरा दिया। आज इस पवित्र गुफा को 'अर्धक्वाँरी' के नाम से जाना जाता है। अर्धक्वाँरी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहाँ माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। 

कहते हैं उस वक्त हनुमानजी माँ की रक्षा के लिए माँ वैष्णो देवी के साथ ही थे। हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर एक बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा 'बाणगंगा' के नाम से जानी जाती है, जिसके पवित्र जल का पान करने या इससे स्नान करने से भक्तों की सारी व्याधियाँ दूर हो जाती हैं।

भैरोनाथ मंदिर
Gayarti Sharma
WD
जिस स्थान पर माँ वैष्णो देवी ने हठी भैरवनाथ का वध किया, वह स्थान आज पूरी दुनिया में 'भवन' के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थान पर माँ काली (दाएँ), माँ सरस्वती (मध्य) और माँ लक्ष्मी पिंडी (बाएँ) के रूप में गुफा में विराजित है, जिनकी एक झलक पाने मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इन तीनों के सम्मि‍लित रूप को ही माँ वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है।

भैरवनाथ का वध करने पर उसका शीश भवन से 8 किमी दूर जिस स्थान पर गिरा, आज उस स्थान को 'भैरोनाथ के मंदिर' के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि अपने वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने माँ से क्षमादान की भीख माँगी। माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को वरदान देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएँगे, जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा। 

कैसे पहुँचें माँ के दरबार :- 
माँ वैष्णो देवी की यात्रा का पहला पड़ाव जम्मू होता है। जम्मू तक आप बस, टैक्सी, ट्रेन या फिर हवाई जहाज से पहुँच सकते हैं। जम्मू ब्राड गेज लाइन द्वारा जुड़ा है। गर्मियों में वैष्णो देवी जाने वाले यात्रियों की संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है इसलिए रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष यात्रियों की सुविधा के लिए दिल्ली से जम्मू के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाती हैं। 

जम्मू भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 1 ए पर स्थित है। अत: यदि आप बस या टैक्सी से भी जम्मू पहुँचना चाहते हैं तो भी आपको कोई परेशानी नहीं होगी। उत्तर भारत के कई प्रमुख शहरों से जम्मू के लिए आपको आसानी से बस व टैक्सी मिल सकती है। 

माँ के भवन तक की यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है, जो कि जम्मू जिले का एक गाँव है। जम्मू से कटरा की दूरी लगभग 50 किमी है। आप जम्मू से बस या टैक्सी द्वारा कटरा पहुँच सकते हैं। जम्मू रेलवे स्टेशन से कटरा के लिए आपको कई बसें मिल जाएँगी, जिनसे आप 2 घंटे में आसानी से कटरा पहुँच सकते हैं। यदि आप प्रायवेट टैक्सी से कटरा पहुँचना चाहते हैं तो आप 500 से 1000 रुपए खर्च कर टैक्सी से कटरा तक की यात्रा कर सकते हैं, जो कि लगभग 1 घंटे में आपको कटरा तक पहुँचा देगी। 

वैष्णों देवी यात्रा की शुरुआत :- 
माँ वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है। अधिकांश यात्री यहाँ विश्राम करके अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। माँ के दर्शन के लिए रातभर यात्रियों की चढ़ाई का सिलसिला चलता रहता है। कटरा से ही माता के दर्शन के लिए नि:शुल्क 'यात्रा पर्ची' मिलती है। 

यह पर्ची लेने के बाद ही आप कटरा से माँ वैष्णो के दरबार तक की चढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं। यह पर्ची लेने के तीन घंटे बाद आपको चढ़ाई के पहले 'बाण गंगा' चैक पॉइंट पर इंट्री करानी पड़ती है और वहाँ सामान की चैकिंग कराने के बाद ही आप चढ़ाई प्रारंभ कर सकते हैं। यदि आप यात्रा पर्ची लेने के तीन घंटे बाद तक चैक पोस्ट पर इंट्री नहीं कराते हैं तो आपकी यात्रा पर्ची रद्द हो जाती है। अत: यात्रा प्रारंभ करते वक्त ही यात्रा पर्ची लेना सुविधाजनक होता है। 

पूरी यात्रा में स्थान-स्थान पर जलपान व भोजन की व्यवस्था है। इस कठिन चढ़ाई में आप थोड़ा विश्राम कर चाय, कॉफी पीकर फिर से उसी जोश से अपनी यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। कटरा, भवन व भवन तक की चढ़ाई के अनेक स्थानों पर 'क्लॉक रूम' की सुविधा भी उपलब्ध है, जिनमें निर्धारित शुल्क पर अपना सामान रखकर यात्री आसानी से चढ़ाई कर सकते हैं। 

कटरा समुद्रतल से 2500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यही वह अंतिम स्थान है जहाँ तक आधुनिकतम परिवहन के साधनों (हेलिकॉप्टर को छोड़कर) से आप पहुँच सकते हैं। कटरा से 12 किमी की खड़ी चढ़ाई पर भवन (माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा) है। भवन से 8 किमी दूर 'भैरवनाथ का मंदिर' है। भवन से भैरवनाथ मंदिर की चढ़ाई हेतु किराए पर पिट्ठू, पालकी व घोड़े की सुविधा भी उपलब्ध है। 

कम समय में माँ के दर्शन के इच्छुक यात्री हेलिकॉप्टर सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। लगभग 2200 से 2800 रुपए खर्च कर दर्शनार्थी कटरा से 'साँझीछत' (भैरवनाथ मंदिर से कुछ किमी की दूरी पर) तक हेलिकॉप्टर से पहुँच सकते हैं। 

आजकल अर्धक्वाँरी से भवन तक की चढ़ाई के लिए बैटरी कार भी शुरू की गई है, जिसमें लगभग 4 से 5 यात्री एक साथ बैठ सकते हैं। माता की गुफा के दर्शन हेतु कुछ भक्त पैदल चढ़ाई करते हैं और कुछ इस कठिन चढ़ाई को आसान बनाने के लिए पालकी, घोड़े या पिट्ठू किराए पर लेते हैं। 

छोटे बच्चों को चढ़ाई पर उठाने के लिए आप किराए पर स्थानीय लोगों को बुक कर सकते हैं, जो निर्धारित शुल्क पर आपके बच्चों को पीठ पर बैठाकर चढ़ाई करते हैं। एक व्यक्ति के लिए कटरा से भवन (माँ वैष्णो देवी की पवित्र गुफा) तक की चढ़ाई का पालकी, पिट्ठू या घोड़े का किराया 250 से 350 रुपए तक होता है। इसके अलावा छोटे बच्चों को साथ बैठाने या ओवरवेट व्यक्ति को बैठाने का आपको अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा। 

ठहरने का स्थान :- 
माता के भवन में पहुँचने वाले यात्रियों के लिए जम्मू, कटरा, भवन के आसपास आदि स्थानों पर माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की कई धर्मशालाएँ व होटले हैं, जिनमें विश्राम करके आप अपनी यात्रा की थकान को मिटा सकते हैं, जिनकी पूर्व बुकिंग कराके आप परेशानियों से बच सकते हैं। आप चाहें तो प्रायवेट होटलों में भी रुक सकते हैं।

नवरात्रि में लगता है मेला : 
माँ वैष्णो देवी के दरबार में नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। कई बार तो श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि पर्ची काउंटर से यात्रा पर्ची देना बंद करनी पड़ती है। इस वर्ष भी नवरात्रि में हर रोज लगभग 50,000 से अधिक श्रद्धालु माँ वैष्णो के दर्शन के लिए कटरा पहुँच रहे हैं। 

आसपास के दर्शनीय स्थल :- 
कटरा व जम्मू के नज़दीक कई दर्शनीय स्थल ‍व हिल स्टेशन हैं, जहाँ जाकर आप जम्मू की ठंडी हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। जम्मू में अमर महल, बहू फोर्ट, मंसर लेक, रघुनाथ टेंपल आदि देखने लायक स्थान हैं। जम्मू से लगभग 112 किमी की दूरी पर 'पटनी टॉप' एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। सर्दियों में यहाँ आप स्नो फॉल का भी मजा ले सकते हैं। 
कटरा के नजदीक शिव खोरी, झज्झर कोटली, सनासर, बाबा धनसार, मानतलाई, कुद, बटोट आदि कई दर्शनीय स्थल हैं। 

इन बातों का रखें ख्याल :- 
* वैसे तो माँ वैष्णो देवी के दर्शनार्थ वर्षभर श्रद्धालु जाते हैं परंतु यहाँ जाने का बेहतर मौसम गर्मी है।
* सर्दियों में भवन का न्यूनतम तापमान -3 से -4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। अत: इस मौसम में यात्रा करने से बचें। 
* ब्लड प्रेशर के मरीज चढ़ाई के लिए सीढि़यों का उपयोग ‍न करें। 
* भवन ऊँचाई पर स्थित होने से यहाँ तक की चढ़ाई में आपको उलटी व जी मचलाने संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिनसे बचने के लिए अपने साथ आवश्यक दवाइयाँ जरूर रखें। 
* चढ़ाई के वक्त जहाँ तक हो सके, कम से कम सामान अपने साथ ले जाएँ ताकि चढ़ाई में आपको कोई परेशानी न हो।
* पैदल चढ़ाई करने में छड़ी आपके लिए बेहद मददगार सिद्ध होगी। 
* ट्रेकिंग शूज चढ़ाई में आपके लिए बहुत आरामदायक होंगे। 
* माँ का जयकारा आपके रास्ते की सारी मुश्किलें हल कर देगा। 

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